सहारा मुझको चाहिये सहारा दे मुझे खुदा
मुझे संभाल मैं गिरा
- यह बोझ जो गुनाहों का
मैं लेके आज चल रहा
उठायेगा अगर कोई
वह तू ही तो है ऐ खुदा
मुझे संभाल मैं गिरा - कठिन हैं रासते बहुत
हर एक मोड़ पर खता
अँधेरा सायों को हटा
दिखादे मुझको अब सहर
मुझे संभाल मैं गिरा - जहाँ के रासतो पे मैं
अकेले चल न पाऊँगा
अगर जो चलना चाहूँ भी
फिसल के गिर मैं जाऊँगा
मुझे संभाल मैं गिरा